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निविदा समिति (Tender Committee)

12. निविदा समिति
(Tender Committee)

रेलवे बोर्ड द्वारा जारी निर्देशों को ध्यान में रखते हुए रु. 10 लाख से अधिक मूल्य की सभी निविदाओं के मामले में कार्यवाही करने तथा सलाह देने हेतु निविदाएँ स्वीकृत करने के लिए अधिकृत अधिकारी द्वारा भण्डार, लेखा और आपूर्ति के मांगकर्ता विभाग (उपभोक्ता विभाग) के एक-एक प्रतिनिधि को मिलाकर कम से कम तीन सदस्यों की एक निविदा समिति (Tender Committee) गठित की जाती है। जब किसी निविदा को स्वीकृत करने के सक्षम अधिकारी महाप्रबन्धक होते हैं, तो सम्बन्धित विभागाध्यक्ष निविदा समिति गठित करने की व्यवस्था करते हैं।

निविदा समिति का गठन इस प्रकार किया जाना चाहिए कि निविदा समिति के एक सदस्य की हैसियत से किसी निविदा की सिफारिश करने वाला अधिकारी उसी निविदा को स्वीकार करने का भी अधिकारी नहीं होगा। ऐसे मामलों में सम्बन्धित अधिकारी को बिना इस तथ्य का विचार किए कि निविदा समिति की सिफारिशें स्वीकार करने का स्वतः उसे अधिकार प्राप्त है, निविदा समिति की कार्यवाईयाँ स्वीकृत करने के लिए अपने स्तर से ऊपर के अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।

निविदा समिति में उपभोक्ता और भण्डार विभाग के अधिकारी समान पद वाले एवं एक वेतनमान नीचे का लेखाधिकारी होता है। टेण्डर कमेटी दरों को स्वीकार करने की सिफारिश तो कर सकती है, लेकिन दरें स्वीकार नहीं कर सकती। दरें स्वीकार करने वाला अधिकारी टेण्डर कमेटी के भण्डार व उपभोक्ता विभाग के अधिकारी से एक पद ऊपर का अधिकारी होता है।

प्राप्त दरों तथा निविदा की अन्य शर्तों का एक तुलनात्मक विवरण (Comparative Statement) सम्बन्धित विभाग द्वारा तैयार किया जाना चाहिए और लेखा विभाग द्वारा इसका सत्यापन किया जाना चाहिए। इस बात का सुनिश्चय किया जाना चाहिए कि विलम्बित और देर (Late and Delayed) से प्राप्त निविदाओं को मिलाकर सभी निविदाओं को तुलनात्मक विवरण में शामिल किया गया है। उसके बाद फाइल 'टेक्नीकल स्क्रूटिनी' (Technical Scrutiny) के लिए प्रधान कार्यालय में उपभोक्ता विभाग के अधिकारी के पास भेज दी जाती है। वह टेण्डर के अन्तर्गत प्राप्त सभी प्रस्तावों का तकनीकी आधार पर परीक्षण करता है एवं प्रत्येक प्रस्ताव (Offer) के सम्मुख स्वीकार अथवा अस्वीकार करने के ठोस कारण लिखता है।

टेक्नीकल स्क्रूटिनी के बाद टेण्डर कमेटी होती है, जिसमें टेण्डर कमेटी के सदस्य तकनीकी उपयुक्तता की फिर से समीक्षा करते है। प्रस्ताव देने वाली फर्म का पिछला रिकार्ड देखते हैं, प्राप्त दरों (Rates) की पिछली दरों से तुलना करते हैं, यदि दरें अधिक है तो कितनी अधिक है, क्या ये मानने योग्य सीमा के अन्दर आती हैं, आदि की समक्षा करते हैं।

अन्त में टेण्डर कमेटी द्वारा सिफारिश की जाती है कि किस फर्म को पूरा आदेश दिया जाए और यदि मात्रा (Quantity) का बंटवारा भी करना है (दरें एक होने से अथवा काउण्टर ऑफर देने के कारण) तो किस फर्म को कितनी कितनी मात्रा दी जाए। इसके बाद फाइल, टेण्डर कमेटी की सिफारिश स्वीकार करने वाले अधिकारी को प्रस्तुत कर दी जाती है।

मूलतः सबसे कम मूल्य की निविदा स्वीकृत की जानी चाहिए। इस कार्य के लिए उत्तरदायी अधिकारी को निविदा स्वीकार या अस्वीकार करने का निर्णय पूरी तरह अपने स्व-विवेक से करना होता है और अपने प्रस्ताव को अस्वीकृत करने के सम्बन्ध में निविदा देने वाला कोई व्यक्ति उस अधिकारी से किसी प्रकार का स्पष्टीकरण नहीं मांग सकता। फिर भी अधिकारी द्वारा अस्वीकार करने के कारण अंकित किए जाने चाहिए और उच्च अधि कारी इस सम्बन्ध में स्पष्टीकरण मांग सकता है। निविदा समिति की सिफारिशों में फेर बदल करने के कारण भी निश्चित रूप से निविदा स्वीकार करने वाले अधिकारी द्वारा अंकित किए जाने चाहिए।

टेण्डर कमेटी की सिफारिशें स्वीकृति अधिकारी द्वारा स्वीकार कर लेने के बाद, जिस फर्म की ऑफर स्वीकार की गई है उसको क्रय आदेश (Purchase Order) दे दिया जाता है। क्रय आदेश देने से पहले क्रय आदेश लेखा विभाग द्वारा एक बार फिर जाँच (Pre- checked) करवा लिया जाता है, जिससे गलती की कोई सम्भावना नहीं रह जाये। प्री-चैक से आने के बाद नम्बर दिया जाता है, उसके बाद उसे सम्बन्धित फर्म को ड्राइंग, स्पेसीफिकेशन आदि के साथ भिजवा दिया जाता है।

भण्डार विभाग का जो अधिकारी टेण्डर कमेटी करता है वही 'क्रय आदेश पर हस्ताक्षर करता है।

डिलेड टेण्डर और लेट टेण्डर (Delayed and Late Tenders)

ऐसे टेण्डर, जो टेण्डर जमा करने की नियत तिथि और समय के पश्चात् लेकिन खुलने की तिथि और समय से पूर्व प्राप्त होते हैं, डिलेड टेण्डर कहलाते हैं।

ऐसे टेण्डर, जो टेण्डर खुलने की नियत तिथि एवं समय के पश्चात् प्राप्त होते हैं, लेट टेण्डर कहलाते हैं।

डिलेड टेण्डर और लेट टेण्डर दोनों ही स्वीकार नहीं किये जाते हैं। फिर भी अत्यन्त आवश्यक होने पर वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी की सहमति से महाप्रबन्धक द्वारा डिलेड टेण्डर रेलवे बोर्ड के विचारार्थ भेजे जा सकते हैं।

वर्तमान में निम्न स्तरों पर निविदा समिति (Tender Committee) का गठन होता है-




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