अधिशेष भण्डार (Surplus Stores)
ऐसी मदें या भण्डार, जिसका रेल कार्य के लिए दो वर्ष की अवधि तक निर्गम (Issue) नहीं किया गया हो, अधिशेष भण्डार कहलाता है। इनमें आपाती भण्डार शामिल नही होते हैं।
अधिशेष भण्डार निम्न दो प्रकार का होता है
1. चल अधिशेष (Movable Surplus)
इसमें भण्डार की वे मदें आती हैं जिनका 24 महीने से निर्गम नहीं किया गया है परन्तु जिनके निकट भविष्य में उपयोग किये जाने की प्रत्याशा है।
2. अचल अधिशेष (Dead Surplus)
इसमें भण्डार की वे मदें आती है जिनका पिछले 24 महीनों से निर्गम नहीं किया गया है और जिनके बारे में यह समझा गया है कि उनका किसी भी रेलवे पर अगले 2 वर्ष के भीतर उपयोग किये जाने की सम्भावना नहीं है।
किसी भी वस्तु को तब तक 'अचल अधिशेष के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जायेगा, जब तक कि उसे सर्वेक्षण समिति द्वारा विधिवत निरीक्षण करके ऐसी वस्तु घोषित न किया गया हो।
भण्डार के अधिशेष होने के कारण
1. डिजाइन और स्टेण्डर्ड में परिवर्तन ।
2. रोलिंग स्टॉक, प्लाण्ट और मशीनरी के रिप्लेसमेन्ट के कारण अतिरिक्त पुर्जी का अधिशेष होना।
3. पुराने मानक या कार्यविधियों के स्थान पर नई लागू करना ।
4. ऐसे प्लाण्ट को रद्द कर देना जिनके लिए अतिरिक्त पुर्जा का स्टॉक मौजूद हैं।
भण्डार को अधिशेष होने से रोकने के उपाय
1. सम्बन्धित वस्तु की भावी खरीद को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाना।
2. आवश्यकता के बिना नए मानकों का स्टॉक न किया जाये और न ही वर्तमान वस्तु की आगे कोई खरीद की जाए।
3. पुराने प्लाण्ट को रद्द करके नीलामी हेतु भेजते समय उसके अतिरिक्त पुर्जे और फिटिंग्स भी साथ भेजे जाएँ।
4. विशिष्ट निर्माण कार्यों से सम्बन्धित सामग्री के आदेश तुरन्त रद्द किये जाएँ।
अधिशेष भण्डार का निपटान
1. उपभोक्ता विभागों को, ऐसे भण्डार को अन्य कार्यों में उपयोग हेतु इश्यू करना।
2. अन्य रेलों या सरकारी विभागों को सीधी बिक्री द्वारा ।
3. सर्वे कमेटी की सिफारिशों की मंजूरी के बाद नीलामी बिक्री द्वारा।
सर्वेक्षण समिति (Survey Committee)
गठन (Composition)
सर्वेक्षण समिति का गठन महाप्रबन्धक द्वारा किया जाता है। इसमें भण्डार विभाग के अधिकारी के अतिरिक्त उपभोक्ता विभागों या शाखाओं के प्रधान या वरिष्ठ अधिकारी होते हैं। महाप्रबन्धक द्वारा नामित एक सचिव होता है जो भण्डार विभाग के अतिरिक्त किसी विभाग का अधिकारी होता है। भण्डार विभाग का अधिकारी संयोजक की भूमिका निभाता है।
सर्वेक्षण समिति के बैठकें (Meetings)
समिति की बैठक भण्डार नियंत्रक या डिपो अधिकारी जो सर्वेक्षित की जाने वाली वस्तुएँ एकत्रित करके उनकी सूची तैयार करेगा, के अनुरोध पर होगी, जिसकी आवृत्ति छः माह में एक बार से कम नहीं होगी।
सर्वेक्षण समिति के कार्य (Functions)
सर्वेक्षण समिति निम्नलिखित ऐसे सभी भण्डार का आलोचनात्मक निरीक्षण करती है-
1. जिसके मूल्य में किसी भी कारण से कमी आई हो,
2. जो मार्ग में या स्टॉक में रहने के दौरान टूट गया हो या क्षतिग्रस्त (Damaged) हो गया हो,
3. जो काफी लम्बे समय से भण्डार विभाग की अभिरक्षा में पड़ा हो और जिसे भण्डार नियंत्रक द्वारा अप्रचलन (Obsolescence) या अन्य कारणों से बेकार हो चुका समझा गया हो, और
4. जो लाइन से रद्दी के रूप में प्राप्त हुआ हो।
ऐसे निरीक्षणों के बाद समिति यह तय करेगी कि
1. डिपो में रखा कौन सा सामान अचल अधिशेष भण्डार या रद्दी माना जाये,
2. किस भण्डार को वर्गीकृत करके पुराने (Second Hand) कोटि में रखा जाये,
3. ऐसे स्टॉक को किन दरों और मूल्यों पर लेखा बहियों में रखा जाये, और
4. ऐसे भण्डार का निपटान कैसे किया जाये अर्थात् बिक्री द्वारा या विशिष्ट विभागों के विशिष्ट उपयोग के लिए जारी करके, आदि ।
सर्वेक्षण शीट (Survey Sheet)
सर्वेक्षण शीट अलग-अलग ग्रुप के अनुसार प्रपत्र संख्या S-2227 पर चार प्रतियों में तैयार की जाती है, जिसमें निम्नलिखित विवरण होते हैं-
1. मद संख्या
2. मूल्य सूची संख्या
3. भण्डार का विवरण
4. मात्रा संख्या / वजन
5. खाता मूल्य (Book Value)
6. कुल रद्दी मूल्य
7. कुल वहन की गई हानि
8. सम्बन्धित विभाग का नाम
9. सर्वेक्षण का कारण
10. सर्वेक्षण समिति की रिफारिशें
11. महाप्रबन्धक के आदेश के लिए भण्डार नियंत्रक द्वारा दिये गये रिमार्क
अत्यधिक सावधानीपूर्वक अन्वेषण के बाद समिति सभी मदों के सम्बन्ध में सचिव से अपनी सिफारिशें अभिलेखबद्ध करायेगी, जो सूची की सभी प्रतियों पर, मूल्य तथा निपटान के ढंग दोनों के ही सम्बन्ध में होंगी। समिति का सचिव ऐसी प्रत्येक सिफारिश पर अपने हस्ताक्षर करेगा और सचिव सहित समिति के सभी सदस्य सूची की सभी प्रतियों पर हस्ताक्षर करेंगे।
महाप्रबन्धक की मंजूरी (Sanction of G.M.)
सर्वेक्षण समिति की रिपोर्ट डिपो अधिकारी द्वारा भण्डार नियंत्रक को प्रस्तुत की जायेगी। भण्डार नियंत्रक अपनी शक्तियों के अन्तर्गत आने वाली मदों के सम्बन्ध में स्वयं कार्यवाही करेंगे और अन्य के सम्बन्ध में महाप्रबन्धक के आदेश लेंगे।
महाप्रबन्धक और भण्डार नियंत्रक के आदेश भण्डार लेखा अधिकारी, लेखा परीक्षा अधिकारी और डिपो अधिकारी को सूचित किये जायेंगे और उन्हें कार्यान्वित करने के लिए तुरन्त कार्यवाही की जायेगी।
भण्डार के पुनर्वर्गीकरण करने हेतु भण्डार अधिकारियों की शक्तियाँ
स्टॉक में रखे किसी भी भण्डार को सर्वेक्षण समिति की सिफारिश पर प्राप्त महाप्रबन्ध एक की मंजूरी के बिना पुनर्वर्गीकृत नहीं किया जायेगा और उसे पुराना या रद्दी नहीं माना जायेगा। फिर भी सर्वेक्षण समिति की सिफारिश पर भण्डार नियंत्रक प्रति मद 5 लाख रु. . मुख्य सामग्री प्रबन्धक 3 लाख रु., उप मुख्य सामग्री प्रबन्धक एक लाख रु. और डिपो अधि कारी (वरिष्ठ वेतनमान) 25 हजार रुपये तक की सीमा तक प्रति मद पुनर्वर्गीकृत करके उसे पुराना या रद्दी की केटेगरी में रख सकते हैं।
डिपो अधिकारी सर्वेक्षण समिति की कार्यवाही के बिना प्रति मद 5000/- रु. की सीमा तक स्टॉक में रखे भण्डार को पुनर्वर्गीकृत करके पुरानी (Second hand) या रद्दी करार दे सकते हैं। तथापि ऐसा करने से पहले डिपो अधिकारी, जहां आवश्यक समझे, उपभोक्ता विभागों और डिपुओं से यह पता कर ले कि उक्त मद का उनके द्वारा अगले दो वर्षों में उपयोग किये जाने की सम्भावना नहीं हैं।
साधारण भण्डार का अति-स्टॉक
(Over Stock of Ordinary Stores)
स्टॉक में साधारण भण्डार का किसी भी समय जो अधिकतम स्टॉक रखा जा सकता है. वह साधारणतया वर्ष के दौरान प्रत्येक मद के निर्गमों के 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। यह सीमा केवल 'साधारण भण्डार" पर ही लागू होती है।
सामान्यतः मदों का अति स्टॉक निम्न प्रकार माना जाता है-
'ए' श्रेणी की मद के लिए 6 माह की मात्रा से अधिक स्टॉक ओवर स्टॉक है।
बी' श्रेणी की मद के लिए 12 माह की मात्रा से अधिक स्टॉक ओवर स्टॉक है।
सी श्रेणी की मद के लिए 24 माह की मात्रा से अधिक स्टॉक ओवर स्टॉक है।
साधारण भण्डार के ओवर स्टॉक के लिए उत्तरदायी घटक (Responsible Factors)
1. खपत में आने वाली अप्रत्याशित गिरावट
2. उपभोक्ता विभागों द्वारा अपेक्षा से बहुत अधिक मात्रा में लौटाया गया भण्डार ।
अधिशेष भण्डार और ओवर स्टॉक का निपटान
अधिशेष भण्डार और ओवर स्टॉक का निपटान सर्वाधिक खुले ढंग से और विक्रय के लिए विज्ञापन आमंत्रित करके किया जायेगा।
अन्य रेलों या सरकारी विभागों को विक्रय
अधिशेष भण्डार और ओवर स्टॉक एवं किन्हीं विशेष परिस्थितियों में सामान्य स्टॉक वाले भण्डार की बिक्री जब अन्य रेलों या सरकारी विभागों को की जाएगी तब खाता दर (Book Rate) या खरीद दर में से जो भी अधिक होगी, वही दर लागू होगी।
भाड़ा और प्रासंगिक प्रभार
सीधी बिक्री के ऐसे मामलों में नियत की गई भण्डार की लागत में सार्वजनिक दर पर भाड़ा जोड़ा जायेगा। जब ऐसा भाड़ा ज्ञात न हो या उचित तरीके से उसका अनुमान न लगाया जा सकता हो तब भाड़ा 5% या ऐसी प्रतिशतता पर मान लिया जाएगा जो रेलवे बोर्ड द्वारा नियत की गई हो। प्रासंगिक प्रभारों (Incidental Charges) के लिए 2% अतिरिक्त प्रभार लगाया जायेगा।
विभागीय प्रभार (Departmental Charges)
जब ऐसे भण्डार की सीधी बिक्री अन्य रेलों के अलावा की गई हो तो भण्डार की कुल लागत, भाड़ा और प्रासंगिक प्रभार के अतिरिक्त पर्यवेक्षण, परिव्यय और ब्याज आदि समायोजित करने के लिए 12.5 % विभागीय प्रभार के रूप में और जोड़ा जायेगा।
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