डिपो प्रणाली
(Depot System)
भण्डारों की प्राप्ति और आपूर्ति प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मुख्य डिपो और सहायक डिपो प्रणाली को अपनाया गया है।
मुख्य डिपो (Main Depot)
एक डिपो में सामान्यतः उन वस्तुओं का भण्डारण किया जाता है, जो उस सम्बन्धित कारखाने अथवा उत्पादक इकाई में काम आती हो, जैसे कैरिज डिपो में सवारी गाड़ी की मरम्मत से सम्बन्धित माल ही रखा जाता है।
इस तरह एक ही प्रकार की वस्तुओं के लिए एक मुख्य डिपो बनाया जाता है। मुख्य डिपो तय करने का आधार माल प्राप्ति के साधनों और स्त्रोतों से उस स्थान विशेष की निकटता है, जहाँ पर माल जल्दी और आसानी से पहुँच सके। वहाँ से फिर दूरी पर स्थित सहायक डिपो अथवा उप डिपो को माल पहुँचाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में सहायक डिपो, मुख्य डिपो पर इश्यू ऑर्डर डालकर माल प्राप्त कर सकते हैं। मुख्य डिपो इन सभी सहायक डिपुओं की मांगों का लेखा-जोखा रखते हैं। सहायक डिपुओं की खपत को ध्यान में रखकर माल के भण्डारण की व्यवस्था करने का दायित्व मुख्य डिपो का हो जाता है। इसके लिए मुख्य डिपो मुख्यालय को एस्टीमेट शीट भेजता है और कारखानों पर भण्डार कार्य आदेश (Stores Work Orders) डालता है।
मुख्य डिपो बनाने के उद्देश्य (Objectives):
किसी डिपो को मुख्य डिपो बनाने के पीछे निम्नलिखित उद्देश्य होते हैं-
1. प्रत्येक डिपो में धीमी गति से सरप्लस स्टॉक को एकत्रित होने से रोकना।
2. एक ही डिपो में सरप्लस हुए स्टॉक का निपटारा आसानी से किया जा सकेगा।
3. ऐसे आइटम की खरीद करते समय हर डिपो से जानकारी लेने में लगने वाले समय की बचत करना।
सहायक डिपो (Sister Depot)
सहायक डिपो, जब उनका स्टॉक न्यूनतम स्टॉक सीमा पर आ जाएँ तो मुख्य डिपो को अपनी मांग भेजकर माल प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार बिना अतिरिक्त समय गंवाये और बिना कठिनाई के माल आसानी से दूर स्थित डिपुओं में पहुँच जाता है और सम्बन्धित कारखाने या उत्पादक इकाई का काम निर्बाध रूप से चलता रहता है।
सहायक डिपो, उपभोक्ता विभाग द्वारा संशोधित खपत की सूचना मुख्य डिपो को समय देते रहते हैं।
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