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  Index-Store Department Guide - Indian Railway (Hindi)  Index - Store Department Guide - Indian Railway (English)

Short Notes - सामग्री अन्तरण आदेश (Material Transfer Order)

 6. सामग्री अन्तरण आदेश (Material Transfer Order)


इस वाउचर द्वारा रेल सामग्री को एक युनिट से दूसरी युनिट, वर्कशॉप, डिवीजन एवं अन्य रेलवे को ट्रांसफर किया जाता है। यह वाउचर प्रपत्र सं. E-122F पर 5 प्रतियों में तैयार किया जाता है। इसमें निम्नलिखित विवरण दर्शाये जाते हैं-
(i) सामग्री भेजने वाले स्टॉकधारी का पदनाम
(ii) सामग्री प्राप्त करने वाले का पदनाम
(iii) मूल्य सूची संख्या
(iv) सामान का विवरण
(v) वर्गीकरण
(vi) यूनिट
(vii) मात्रा
(viii) मूल्य
(ix) अन्तरण का विवरण अर्थात् कहां से कहां तक
(x) रेल रसीद संख्या एवं तारीख
(xi) पावती की तारीख
(xii) अभ्युक्ति ।

प्रतियों का वितरण

पहली प्रति - सामग्री अन्तरणकर्ता की रिकार्ड प्रति ।

दूसरी प्रति - नियंत्रण अधिकारी को ।

तीसरी, चौथी एवं पांचवी प्रतियां - सामान के साथ सामग्री प्राप्त करने वाले को भेजी जाती है, जिनमें से सामग्री प्राप्त करने वाला पांचवी प्रति को अपने रिकार्ड में रख लेता है और तीसरी एवं चौथी प्रतियों को प्रमाणित करके वापस सामग्री अन्तरणकर्ता को भेज देता है। अन्तरणकर्ता द्वारा एक प्रति रिकार्ड प्रति के साथ पेअर कर दी जाती है और एक प्रति नियंत्रण अधिकारी को भेज दी जाती है।

Short Notes - मांग पत्र (Indent)

मांगपत्र (Indent)

स्टॉक एवं गैर-स्टॉक मदों की मांग के लिए प्रपत्र सं. S-1302 पर 3 कार्बन प्रतियों में मांग पत्र तैयार किया जाता है। इसके अन्तर्गत निम्न विवरण दर्शाये जाते है
(i) मांगकर्ता
(ii) कन्साइनी
(iii) कन्साइनी कोड
(iv) मांग पत्र संख्या एवं दिनांक
(v) सामान का विवरण
(vi) मूल्य सूची संख्या
(vii) मांगी गई मात्रा अंकों व शब्दों में
(viii) डिपो
(ix) यूनिट
(x) एलोकेशन
(xi) प्रयोजन
(xii) पिछले क्रय का ब्यौरा
(xiii) दर
(xiv) मूल्य
(xv) सामग्री जहां अपेक्षित है।

उपरोक्त के अतिरिक्त निम्न विवरण यदि आवश्यक हो तो, दिये जाते हैं

(i) मांगकर्ता के पास स्टॉक में मात्रा
(ii) अन्य मांगपत्रों की पूर्ति के लिए कुल मात्रा
(iii) बकाया खरीद की पूर्ति के लिए कुल मात्रा
(iv) पिछले तीन वर्षों के दौरान खपत
(v) बकाया मांग पत्रों का ब्यौरा
(vi) दरों सहित बकाया क्रय आदेशों का ब्यौरा
(vii) सम्भावित आपूर्तिकर्ता (यदि कोई हो)
(viii) स्वामित्व वस्तु प्रमाण पत्र (Proprietory Article Certificate)
(ix) तुरन्त खरीद के कारण
(x) आवश्यकता प्रमाण पत्र ।

मांग पत्र पर कन्साइनी एवं नियंत्रण अधिकारी के हस्ताक्षर होने के बाद निधि उपलब्धता (Fund Availability) के प्रमाणन हेतु लेखा विभाग को भेजा जाता है।

लेखा विधीक्षा (Vetting):

सभी मांगों की निम्न स्थितियों में लेखा विधीक्षा करवाना आवश्यक है

स्टॉक मदों के मामलों में

(i) यदि मांगी गई मद गैर सेफ्टी है और उसकी कीमत रु. 50 हजार से अधिक हो,
(i) यदि मांगी गई मद सेफ्टी किस्म की है और उसकी कीमत एक लाख रुपये से अधिक हो।

गैर-स्टॉक मदों के मामलों में

(i) यदि   गई मद गैर सेफ्टी की है और उसकी कीमत एक लाख रु. से अधिक हो,
(ii)यदि मांगी गई मद सेफ्टी किस्म की है और उसकी कीमत दो लाख रुपये से अधिक हो।

प्रत्येक मद के लिए अलग-अलग मांग पत्र बनाये जाते हैं। मांग पत्र की 3 प्रतियों में से दो प्रतियां भण्डार विभाग को भेजी जाती है, और अन्तिम प्रति रिकार्ड में रख ली जाती है।

Short Notes - टेली बुक (Talley Book)

 टेली बुक (Talley Book)

i. यह एक मनी वैल्यू बुक होती है जिसमें स्टॉक में रखे जाने वाले सामान का विवरण, मू.सू. संख्या, प्राप्ति एवं इश्यू वाउचर संख्या एवं दिनांक और मात्रा तथा बेलेन्स मात्रा आदि सम्पूर्ण ब्यौरा दर्ज किया जाता है।

(ii) भण्डार विशेष के अनुसार अलग-अलग टेली बुक रखी जाती है।

(iii) टेली बुक का प्रत्येक पेज मशीन द्वारा नम्बरिंग किया होता है।

(iv) टेली बुक में सभी इन्द्राज साफ-सुथरे होने चाहिए।

अधिशेष भण्डार (Surplus Stores)


अधिशेष भण्डार (Surplus Stores)

ऐसी मदें या भण्डार, जिसका रेल कार्य के लिए दो वर्ष की अवधि तक निर्गम (Issue) नहीं किया गया हो, अधिशेष भण्डार कहलाता है। इनमें आपाती भण्डार शामिल नही होते हैं।

अधिशेष भण्डार निम्न दो प्रकार का होता है

1. चल अधिशेष (Movable Surplus)

इसमें भण्डार की वे मदें आती हैं जिनका 24 महीने से निर्गम नहीं किया गया है परन्तु जिनके निकट भविष्य में उपयोग किये जाने की प्रत्याशा है।

2. अचल अधिशेष (Dead Surplus)

इसमें भण्डार की वे मदें आती है जिनका पिछले 24 महीनों से निर्गम नहीं किया गया है और जिनके बारे में यह समझा गया है कि उनका किसी भी रेलवे पर अगले 2 वर्ष के भीतर उपयोग किये जाने की सम्भावना नहीं है।

डिपो प्रणाली (Depot System)

डिपो प्रणाली
(Depot System)

भण्डारों की प्राप्ति और आपूर्ति प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मुख्य डिपो और सहायक डिपो प्रणाली को अपनाया गया है।

मुख्य डिपो (Main Depot)

एक डिपो में सामान्यतः उन वस्तुओं का भण्डारण किया जाता है, जो उस सम्बन्धित कारखाने अथवा उत्पादक इकाई में काम आती हो, जैसे कैरिज डिपो में सवारी गाड़ी की मरम्मत से सम्बन्धित माल ही रखा जाता है।

इस तरह एक ही प्रकार की वस्तुओं के लिए एक मुख्य डिपो बनाया जाता है। मुख्य डिपो तय करने का आधार माल प्राप्ति के साधनों और स्त्रोतों से उस स्थान विशेष की निकटता है, जहाँ पर माल जल्दी और आसानी से पहुँच सके। वहाँ से फिर दूरी पर स्थित सहायक डिपो अथवा उप डिपो को माल पहुँचाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में सहायक डिपो, मुख्य डिपो पर इश्यू ऑर्डर डालकर माल प्राप्त कर सकते हैं। मुख्य डिपो इन सभी सहायक डिपुओं की मांगों का लेखा-जोखा रखते हैं। सहायक डिपुओं की खपत को ध्यान में रखकर माल के भण्डारण की व्यवस्था करने का दायित्व मुख्य डिपो का हो जाता है। इसके लिए मुख्य डिपो मुख्यालय को एस्टीमेट शीट भेजता है और कारखानों पर भण्डार कार्य आदेश (Stores Work Orders) डालता है।

मुख्य डिपो बनाने के उद्देश्य (Objectives):

किसी डिपो को मुख्य डिपो बनाने के पीछे निम्नलिखित उद्देश्य होते हैं-

1. प्रत्येक डिपो में धीमी गति से सरप्लस स्टॉक को एकत्रित होने से रोकना।

2. एक ही डिपो में सरप्लस हुए स्टॉक का निपटारा आसानी से किया जा सकेगा।

3. ऐसे आइटम की खरीद करते समय हर डिपो से जानकारी लेने में लगने वाले समय की बचत करना।

सहायक डिपो (Sister Depot)

सहायक डिपो, जब उनका स्टॉक न्यूनतम स्टॉक सीमा पर आ जाएँ तो मुख्य डिपो को अपनी मांग भेजकर माल प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार बिना अतिरिक्त समय गंवाये और बिना कठिनाई के माल आसानी से दूर स्थित डिपुओं में पहुँच जाता है और सम्बन्धित कारखाने या उत्पादक इकाई का काम निर्बाध रूप से चलता रहता है।

सहायक डिपो, उपभोक्ता विभाग द्वारा संशोधित खपत की सूचना मुख्य डिपो को समय देते रहते हैं।


#Store_Depot_System

संक्षिप्त टिप्पणीयां

35. संक्षिप्त टिप्पणियाँ
(Short Notes)
1. कस्टडी स्टोर (Custody Stores)
इन भण्डारों में मुख्य रूप से वे मदें आती हैं, जो केपीटल और रेवेन्यू प्रोग्राम के अन्तर्गत रोलिंग स्टॉक के निर्माण के लिए यांत्रिक विभाग के लिए प्राप्त की जाती है। ये भण्डार सीधे ही प्राप्त करके इनका भुगतान कर दिया जाता है और इनकी लागत तुरन्त सम्बन्धित निर्माण कार्य को डेबिट कर दी जाती है। आवश्यकता पड़ने तक वर्कशॉप में रखने के बजाय ऐसे भण्डार को भण्डार डिपो की कस्टडी में रखा जाता है और विभाग द्वारा समुचित रिकार्ड रखा जाता है।

डिलेड टेण्डर और लेट टेण्डर (Delayed and Late Tenders)

 डिलेड टेण्डर और लेट टेण्डर (Delayed and Late Tenders)


ऐसे टेण्डर, जो टेण्डर जमा करने की नियत तिथि और समय के पश्चात् लेकिन खुलने की तिथि और समय से पूर्व प्राप्त होते हैं, डिलेड टेण्डर कहलाते हैं।

ऐसे टेण्डर, जो टेण्डर खुलने की नियत तिथि एवं समय के पश्चात् प्राप्त होते हैं, लेट टेण्डर कहलाते हैं।

डिलेड टेण्डर और लेट टेण्डर दोनों ही स्वीकार नहीं किये जाते हैं। फिर भी अत्यन्त आवश्यक होने पर वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी की सहमति से महाप्रबन्धक द्वारा डिलेड टेण्डर रेलवे बोर्ड के विचारार्थ भेजे जा सकते हैं।

Short Note - ग्लोबल टेण्डर (Global Tender)

 ग्लोबल टेण्डर (Global Tender)


ग्लोबल टेण्डर, ओपन टेण्डर की तरह ही होते हैं। जब मशीनरी, रोलिंग स्टॉक एवं इलेक्ट्रोनिक वस्तुएँ, जिन्हें विदेशों से आयात करना होता है तब ग्लोबल टेण्डर आमंत्रित किए जाते हैं।

 ग्लोबल टेण्डर आमंत्रित करने के लिए टेण्डर फार्म, दस्तावेज, सेम्पल, ड्राइंग इत्यादि महानिदेशक, आपूर्ति भारत जो कि लन्दन में भारत के लिए खरीद कार्य करता है, के पास भिजवा दिये जाने चाहिए।

 इसके अतिरिक्त व्यापार आयुक्त, विभिन्न दूतावास के अधिकारियों को जिनके देशों की शाखाएँ, विश्व बैंक के तहत भारत में कार्यरत हैं, और जो उन बैंकों के सदस्य हैं, को भिजवा देनी चाहिए। भारत के व्यापारियों को टेण्डर फार्म निध् र्गारित शुल्क पर दिए जाते हैं, लेकिन लन्दन स्थित महानिदेशक (खरीद) एवं भारत स्थित विभिन्न दूतावासों के कार्यालय में निःशुल्क दिए जाते हैं।

बुलेटिन टेण्डर (Bulletin Tender)

 बुलेटिन टेण्डर (Bulletin Tender)


चिरपरिचित ड्राइंग एवं स्पेसीफिकेशन की वस्तुएँ इस टेण्डर द्वारा खरीदी जाती है। यह एक तरह से लिमिटेड टेण्डर का ही रूप है। भण्डार विभाग में पंजीकृत फर्मे जो बुलेटिन के लिए चंदा देती है. उनके पास नियमित रूप से निकलने वाला बुलेटिन भिजवाया जाता है। ये बुलेटिन साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक हो सकते हैं। बुलेटिन में काफी संख्या में मदें होती हैं। इन मदों के लिए फर्मे अपनी दरें आवश्यक शर्तों सहित दर्शाती हैं। टेण्डर फार्म पंजीकृत फर्मों को नियत दरों पर उपलब्ध करवाए जाते हैं। वर्तमान में सामान्यतः रु. 10 लाख लागत तक की वस्तुएँ बुलेटिन में सम्मिलित की जाती है। जहाँ तक हो एक बुलेटिन में एक बार में ही समस्त मदें शामिल कर लेनी चाहिए। बुलेटिन टेण्डर अपेक्षित लाभ वाली स्थिति में ही आमंत्रित किए जाने चाहिए।

सिंगल टेण्डर (Single Tenders)

सिंगल टेण्डर (Single Tenders)

एक ही फर्म से जब किसी वस्तु का टेण्डर मंगवाया जाता है, सिंगल टेण्डर कहलाता है। इस प्रकार के टेण्डर अक्सर एकाधिकार (Monopoly) वाली वस्तुओं के लिए फर्म विशेष से ही मंगवाए जाते हैं। ऐसी वस्तुओं की खरीद अक्सर वस्तु स्वामेत्तर प्रमाण-पत्र" (Proprietory Article Certificate) जो कि उपभोक्ता विभाग द्वारा दिया जाता है, अन्तर्गत की जाती हैं।

लिमिटेड टेण्डर (Limited Tenders) & स्पेशल लिमिटेड टेण्डर (Special Limited Tenders)

 2. लिमिटेड टेण्डर (Limited Tenders): 


ऐसी मदें, जिनका अनुमानित लागत मूल्य रु. 10 लाख तक हो, उनकी खरीद के लिए लिमिटेड टेण्डर आमंत्रित किए जाते हैं। आपातकालीन परिस्थितियों में भण्डार नियंत्रक और मुख्य सामग्री प्रबन्धक के स्वविवेक से, तथा संरक्षा (Safety) सम्बन्धी मामलों में रु. 5 करोड़ तक के अनुमानित लागत मूल्य की मदों की खरीद के लिए यह पद्धति अपनायी जा सकती है।

ओपन टेण्डर (Open Tender)

ओपन टेण्डर (Open Tender): 

सर्वाधिक खुले और यथा सम्भव सार्वजनिक ढंग से सार्वजनिक विज्ञापन द्वारा टेण्डर आमंत्रित करने की इस पद्धति का सामान्य रूप से प्रयोग किया जाना चाहिए और उसे सभी मामलों में अपनाया जाना चाहिए। अपवाद स्वरूप परिस्थितियों को छोड़कर वर्तमान में ऐसी सभी मदें, जिनका अनुमानित लागत मूल्य रु. 10 लाख से अधिक हो, उनकी खरीद के लिए ओपन / एडवर्टाइज्ड टेण्डर आमंत्रित किए जाते हैं।

निविदा समिति (Tender Committee)

12. निविदा समिति
(Tender Committee)

रेलवे बोर्ड द्वारा जारी निर्देशों को ध्यान में रखते हुए रु. 10 लाख से अधिक मूल्य की सभी निविदाओं के मामले में कार्यवाही करने तथा सलाह देने हेतु निविदाएँ स्वीकृत करने के लिए अधिकृत अधिकारी द्वारा भण्डार, लेखा और आपूर्ति के मांगकर्ता विभाग (उपभोक्ता विभाग) के एक-एक प्रतिनिधि को मिलाकर कम से कम तीन सदस्यों की एक निविदा समिति (Tender Committee) गठित की जाती है। जब किसी निविदा को स्वीकृत करने के सक्षम अधिकारी महाप्रबन्धक होते हैं, तो सम्बन्धित विभागाध्यक्ष निविदा समिति गठित करने की व्यवस्था करते हैं।

बयाना राशि और जमानत राशि (Earnest Money and Security Deposit)

15. बयाना राशि और जमानत राशि
(Earnest Money and Security Deposit)


बयाना राशि (Earnest Money)

रेलवे बोर्ड द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाने वाली राशि, जो निविदाकर्ताओं (Tenderers) द्वारा निविदाओं के साथ अग्रिम रूप से जमा करवायी जाती है, बयाना राशि कहलाती है। यह राशि निविदाकर्ताओं अथवा फर्मों की विश्वसनीयता (Earnestness) के साक्ष्यस्वरूप, जहाँ जरूरत (Applicable) हो, जमा करवायी जाती है।

निविदा प्रणाली (Tender System)

11. निविदा प्रणाली
(Tender System)

कार्य निष्पादन हेतु भण्डार की आपूर्ति के लिए सर्व सम्बन्धित व्यवसाइयों को दी जाने वाली सूचना को निविदा (Tender) कहा जाता है। टेण्डर प्रणाली का मुख्य उद्देश्य खर्च किए धन का सबसे अच्छा सम्भव मूल्य प्राप्त करना होता है और टेण्डर प्रणाली पर किसी एक या दूसरे रूप में, दरों को नीचे रखने की विधियों में से सबसे अधिक प्रभावशाली विधि होने के नाते सभी मामलों में पूरी सावधानी तथा गम्भीरता के साथ विचार किया जाना चाहिए। सभी मामलों में टेण्डर मंगाए जाने चाहिए और इस सामान्य नियम में किसी प्रकार का विकल्प व्यावहारिक कारणों पर विचारन करके तभी दिया जाना चाहिए जब तुलनात्मक दृष्टि से कम मूल्य की लागत का माल हो, जिसे टेण्डर पद्धति से मंगाने में विलम्ब हो या अनावश्यक कार्य करना पड़ता हो।

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